भूपेंद्र साहू
धमतरी।देशभर में मंदिरों में घी के प्रसाद का मामला गरमाया हुआ है। लोग प्रसाद के गुणवत्ता की जांच की मांग करने लगे हैं।अब इसके बाद आगामी नवरात्र में घी से जलने वाले ज्योति कलश का भी मुद्दा सामने आने लगा है। लोगों की मांग उठने लगी है कि शुद्धता को देखते हुए घी के बजाय तेल की ज्योति कलश मंदिरों में जलाई जाये। ताकि किसी की आस्था पर ठेस न पहुंचे।
तिरूपति बालाजी में प्रसादम की गुणवत्ता का मामला गरमाया हुआ है। इस पर देश में बहस छिड़ी हुई है। इसके बाद अब घी के ज्योति कलश से तौबा करने लगे हैं। अशुद्ध घी से न सिर्फ आस्था पर ठेस पहुंचती है। बल्कि कई बातें भी सामने आती है। छत्तीसगढ़ सहित धमतरी के मंदिरों में भी अब इसके इस्तेमाल पर आवाज उठने लगी है। तिरूपति में बनाये जाने वाले लड्डू के घी में चर्बी और मछली का तेल पाया गया। इसलिए छत्तीसगढ़ के मंदिरों में नवरात्र पर जलने वाले ज्योत में शुद्ध घी का उपयोग किये जाने के लिए शासन ने निर्देश जारी किये हैं। धमतरी में भी कई मंदिरों में घी के ज्योति कलश जलाये जाते हैं। यहां भी अब या तो शुद्ध घी या तेल की ज्योति कलश जलाये जाने की मांग उठने लगी है।
इस मामले में विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार ने बताया कि लोगों की आस्था का ध्यान रखते हुए इस बार देवभोग घी से ज्योति कलश जलाई जायेगी। इसके लिए आर्डर दिया जा चुका है। ज्योति कलश राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
जय शीतला माता मंदिर महिमा सागर वार्ड के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद ने बताया कि उनके 51 घी का ज्योति कलश जलाया जाता है।शुरू से ही शुद्धता का ख्याल रखते हैं। इस बार अमूल या देवभोग घी का इस्तेमाल किया जाएगा।श्रद्धालुओं के आस्था का पूरा ख्याल रखा जाता है।




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