धमतरी। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की धमतरी शाखा द्वारा पुट्टु ढाबा स्थित सभागार में एक महत्वपूर्ण सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिले के प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने स्ट्रोक और क्रॉनिक किडनी रोग जैसी गंभीर बीमारियों पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में आई. एल. एस. हॉस्पिटल, रायपुर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. भुवन शर्मा और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. करण सराफ ने अपने विशेषज्ञ ज्ञान से सभी को लाभान्वित किया।
डॉ.भुवन शर्मा ने 'स्ट्रोक: समय पर पहचान एवं प्रभावी प्रबंधन' विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि स्ट्रोक की पहचान के लिए 'एफ.ए.एस.टी.' फॉर्मूला अत्यंत उपयोगी है। इसमें फेस (चेहरे का एक तरफ लटकना), आर्म (हाथ में कमजोरी या सुन्नपन), स्पीच (बोलने में असंगति) और टाइम (तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना) को समझना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्ट्रोक के बाद के 4.5 घंटे 'गोल्डन पीरियड' होते हैं, जब उपचार सर्वाधिक प्रभावी होता है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और धूम्रपान को स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक बताते हुए उन्होंने नवीनतम थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. करण सराफ ने 'क्रॉनिक किडनी डिजीज: नई चुनौतियाँ एवं समाधान' विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि 40% मधुमेह रोगियों को किडनी संबंधी समस्याएँ होने का खतरा रहता है। उन्होंने प्रारंभिक अवस्था में सीरम क्रिएटिनिन और यूरिन एल्ब्यूमिन टेस्ट की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। हेमोडायलिसिस की नवीनतम तकनीकों और किडनी प्रत्यारोपण में रिश्तेदार दाताओं के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने नमक कम करने, पर्याप्त हाइड्रेशन और नियमित जाँच को किडनी रोगों से बचाव का सर्वोत्तम उपाय बताया।
इस अवसर पर आईएमए धमतरी के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप साहू ने कहा कि इस तरह के वैज्ञानिक आयोजन स्थानीय चिकित्सकों को नवीनतम चिकित्सा ज्ञान से लैस करते हैं। आईएमए सचिव डॉ. स्मित कुमार ने बताया कि भविष्य में भी इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में डॉ. अनिल रावत, डॉ. प्रभात गुप्ता, डॉ. एन.पी. गुप्ता, डॉ. सुनील जैन, डॉ. जे एस खालसा, डॉ. अरुण टोंडर, डॉ. दिलीप राठौर, डॉ. मीना जैन, डॉ. मुरारी वशानी, डॉ. अनुराग मसीह, डॉ. प्रफुल्ल पैकरा, डॉ. राकेश गुप्ता, डॉ. मुकेश लुन्कड़, डॉ. प्रहर्ष क्लॉडियस, डॉ. इरा क्लॉडियस, डॉ. विभोर नंदा, डॉ. संगम लुन्कड़, डॉ. मधु लुन्कड़, डॉ. प्रीती साहू, डॉ. अपूर्वा पवार, डॉ. विकास गुप्ता, डॉ. रविकिरण शिंदे, डॉ. सुधीर चैटर्जी, डॉ. भूपेन्द्र सोनी और डॉ. आशीष राकी सहित जिले के 25 से अधिक चिकित्सकों ने सक्रिय भागीदारी की।
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